ओम शांति !
बिल्कुल शांत हो जाएँ .. और अपने शरीर को.. शांत होता हुआ महसूस करें !
मेरे पैर बिल्कुल रिलैक्स्ड.. स्टमक.. चेस्ट.. बिल्कुल रिलैक्स होते जा रहे हैं.. आर्म्स.. शोल्डर्स.. नेक रिलैक्स.. फेस की मसल्स.. रिलैक्स्ड — पूरी बॉडी.. पांव से सिर तक.. बिल्कुल शांत हो गई है !
अब अपना ध्यान.. अपने विचारों की ओर.. विज़ुअलाइज़ करें ! मेरे सामने.. एक बहुत बड़ी व्हाइट शीट है.. और उस व्हाइट शीट पर.. बड़े-बड़े अक्षरों में.. आपके मन में जो भी चिंताएँ हैं.. उन्हें लिखें—कोई भी प्रकार का भय.. फिक्र.. चिंता.. निराशा.. जो मन को घेरे हुए हैं.. बार-बार.. मन खींच रहा है.. ऐसे सभी विचारों को.. उस शीट पर लिखें..
जैसे-जैसे लिख रहे हैं.. महसूस करें — कि इन चिंताओं के साथ जुड़ा हुआ,.. जो भी मन का बोझ है.. वह भी हम.. उतार रहे हैं.. इस शीट को रोल कर दें .. और महसूस करें.. कि मेरे मन का सारा भय.. चिंता.. फिक्र.. निराशा.. सब इस पेपर में समा गया.. अब मेरे अंदर से इनमें से कुछ भी नहीं है ! महसूस करें — मैं बिल्कुल आज़ाद हूँ.. निश्चिंत हूँ .. मैंने अपनी सारी चिंताएँ इस पेपर में डाल दीं ..
विज़ुअलाइज़ करें कि यह पेपर उड़कर.. दूर.. आसमान के पार जा रहा है.. जैसे-जैसे यह पेपर दूर जाता जा रहा है.. यहाँ पर मैं स्वयं को बिल्कुल हल्का महसूस कर रही हूँ .. वह सारी चिंताएँ दूर जा रही हैं .. आसमान के पार.. कई मीलों ऊपर .. शांति के सागर — परमात्मा के पास ! जैसे सागर.. सब कुछ अपने में समा लेता है.. उसी प्रकार शांति के सागर शिव बाबा ने.. मेरी सारी चिंताएँ अपने में संभालीं !
मन की शक्ति द्वारा.. स्वयं को इस शरीर के भान—बॉडी कॉन्शियसनेस—से मुक्त करें .. और फील करें कि मैं एक नन्हा सा सितारा हूँ ! शरीर के बंधन से खुद को मुक्त कर रही हूँ .. और चलते हैं ऊपर.. जहाँ वह विशाल शांति का सागर है.. शांति सागर की लहरों में समा जाएँ.. शांति सागर में समाई हुई.. मैं अति सूक्ष्म शक्ति.. नन्हा सा सितारा.. बिल्कुल शांत हूँ.. वह परम शक्ति.. अपनी चमकीली किरणों.. से मुझे भी चमका रही है.. और मेरे अंदर.. शुद्ध विचारों का.. बल भर रही है.. शांति के सागर में.. समाई हुई मैं शांति की शक्ति का.. अनुभव कर रही हूँ !
विश्व की सारी बातें.. उस संसार में छूट गईं.. और मैं यहाँ.. अपने पिता के पास.. निश्चिंत.. बेफिक्र हूँ ! मुझसे जुड़ी हर बात की चिंता मेरे पिता को है ! जैसे एक बच्चा माँ के आंचल में निश्चिंत हो जाता है.. मैं भी.. अपने पिता की शांति की लहरों में समाई हुई.. उनके बेहद प्रेम के आंचल में सब फिक्रों से पार हूँ ! निश्चिंत हूँ ! मेरा साथी सर्वशक्तिमान है ! मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ !
ओम शांति !














