ओम शांति। एक गहरी सांस लेकर अपने शरीर को बिल्कुल हल्का कर दीजिए। भाई सभी बातों से अपने आप को समेट लेते हैं कुछ क्षण के लिए। आज दिवाली है, रोशनी का त्यौहार है।
बाहर बहुत रोशनी है। अपने भीतर की रोशनी को बढ़ाते हैं। अपना सारा ध्यान केंद्रित कीजिए मस्तक के मध्य में। भ्रुकुटी के बीच और अपने आप को देखें। मैं एक चमकता हुआ सितारा, ए डिवाइन लाइट, इस शरीर के मालिक आत्मा हूं। चैतन्य शक्ति हूं। ऊर्जा हूं। अपने ही प्रकाश का, अपने ही डिवाइन लाइट का अनुभव कीजिए।
मुझ आत्मा का दिव्य प्रकाश मेरे पूरे शरीर में फैल रहा है। मैं आत्मा शांत हूं। अब धीरे-धीरे इस शरीर से डिटेच होकर मैं डिवाइन लाइट चलती हूं ऊपर की ओर, जहां से हम नीचे आए हैं। पिता परमात्मा के पास बिल्कुल हल्का होकर इस बॉडी से डिटेच होकर चलिए, एक रूहानी यात्रा करते हैं। मैं डिवाइन लाइट, ज्योति सितारा ऊपर की ओर जा रहा हूं।
अनुभव करते हैं, इस संसार से ऊपर, चांद तारों से पार, एक दिव्य लोक जहां सुनहरी लाल आभा फैली हुई है। असीम शांति है और वहां मेरे पिता परमात्मा, परम ज्योति के स्वरूप में चमक रहे हैं। सुप्रीम लाइट परमात्मा के पूरे लोक को दिव्य प्रकाश से भर रही है। मैं आत्मा बिल्कुल परमात्मा के सम्मुख, उनकी डिवाइन लाइट मेरी और आ रही है।
दिव्य प्रकाश की किरणें मुझे आत्मा को स्पर्श कर रही हैं। अनुभव करते हैं कि मुझे आत्मा की चमक बढ़ती जा रही है। मैं आत्मा शक्तिशाली हो रही हूं। परमात्मा की शांति की लाइट, प्रेम की लाइट, आनंद की लाइट, मुझ आत्मा को गुणों से शक्ति संपन्न कर रही है।
परमात्मा के निस्वार्थ प्रेम का प्रकाश मुझ आत्मा में से सारे दाग, गलत भावनाएं, सब कुछ साफ कर रहे हैं। पिता परमात्मा अपनी दिव्य शक्तियों से, अपनी डिवाइन लाइट से मुझे बिल्कुल अपने जैसा बना रहे हैं। मुझे आत्मा के मन से सारी अशुभ भावनाएं साफ हो रही हैं। किसी के प्रति घृणा, ईर्ष्या या दुर्भाव नहीं है। मैं अपने पिता जैसी हूं।
जैसे मेरे पिता परमात्मा संसार की हर आत्मा को प्यार देते हैं, शक्ति देते हैं, खुशी देते हैं, मैं उनकी संतान हूं, बिल्कुल उनके जैसी। परमात्मा का प्रकाश मुझे आत्मा को भरपूर कर रहा है, साफ कर रहा है। इस ईश्वरीय प्रकाश को लेकर, शक्ति को अपने भीतर भर कर, अब मैं आत्मा वापस नीचे स्थूल जगत की ओर चलती हूं।
चारों दिशाओं में इस दिव्य प्रकाश को फैलाते हुए, आ जाते हैं वापस इस दुनिया में अपने शरीर में। मस्तक की भव्य भाल पर मैं आत्मा, प्रकृति के बीच विराजमान हूं। चमकता हुआ सितारा। मुझे आत्मा का प्रकाश मेरे चारों तरफ वातावरण में फैल रहा है। प्रेम का प्रकाश, आनंद का प्रकाश, शांति का प्रकाश दसों दिशाओं में दूर-दूर तक जा रहा है।
अनुभव कीजिए, आपकी डिवाइन लाइट सारे संसार में फैल रही है। हर आत्मा को स्पर्श कर रही है। उनका पूछा हुआ आत्मा का दीपक जागृत हो रहा है। थकी हुई, अशांत आत्माएं हमारे दिव्य प्रकाश को अनुभव कर रही हैं। मैं एक आत्मदीपक, संसार की हर आत्मा को जगाता हूं। प्रेम का प्रकाश फैलाता हूं। संसार का वातावरण बहुत ही निर्मल, शांत, प्रेममय हो गया है।
हर हृदय में प्रेम, शांति और आनंद का दीप जल रहा है। घर-घर में शांति है। सम्मान है। प्यार है। यही तो सच्ची दिवाली है। अपने घर को देखें। घर के उन सारे सदस्यों को देखें, परिवार जनों को अपने सामने उनके चेहरों को देखें, उनकी भृकुटी में चमकता हुआ दिव्य सितारा। वे सब आत्माएं मेरे साथ किसी ना किसी संबंध से जुड़ी हैं।
आज दिवाली है, मैं आत्मा अपने परिवार की हर आत्मा के लिए शुभ भावना रखती हूं। कोई द्वेष नहीं है। कोई शिकायत नहीं है। केवल प्यार है। सम्मान है। हर एक के चेहरे मुस्कुराते हुए, मेरा परिवार बहुत खुश है। मेरा घर मंदिर है। मेरे घर में सच्ची रोशनी है। हर आत्मा का दीपक जगा हुआ है। और परमात्मा का दिव्य प्रकाश हमारे घर के चारों ओर एक सुरक्षा कवच की तरह परिवार की रक्षा कर रहा है।
मैं दिव्य ज्योति, डिवाइन लाइट हूं। मैं आत्मा हूं। शक्तिशाली, शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप हूं। जहां भी जाऊंगी, हर आत्मा को इस ईश्वरीय डिवाइन लाइट का अनुभव कराऊंगी क्योंकि मैं परमात्मा की संतान हूं। ओम शांति शांति शांति।
I practice… I perfect… I move forward… And every day, I am becoming… a NEW ME…
My butterfly life is waiting for me… And I welcome it… with open wings… I am happy… before, during, and after achieving the goal…
Om Shanti.















