ओम शांति !
मैं अपने जीवन के.. जिस मोड़ पर खड़ी हूं.. जहां एक तरफ स्टेबिलिटी है.. सब कुछ स्मूथ लग रहा है.. लेकिन दूसरी तरफ कुछ नया है.. थोड़ा कंफ्यूजन है.. ऐसे मोड़ पर.. सही निर्णय करने के लिए.. अपने आप को.. इन दोनों ही रास्तों से.. थोड़ा डिटेच कर ले.. एक पंछी की तरह.. जो खुले आसमान में उड़ता है.. अपने मन को भी ऐसे ही.. इन परिस्थितियों के ऊपर ले चले.. जहां से नीचे का सब कुछ.. स्पष्ट दिखाई देता है.. डिटेच हो जाए परिस्थितियों से.. डिटेच हो जाए अपनी इच्छाओं से भी.. यह इच्छाएं भी.. कभी कोई संकल्प के द्वारा.. कभी किसी दूसरे के जीवन से प्रेरित होकर.. या अलग-अलग सोर्सेज से जन्म लेती है.. उन सभी सोर्सेस से अपने आप को डिटेच कर ले.. ऐसे ही.. अपने अंदर छुपे हुए डर से भी.. अपने आप को डिटेच कर ले.. अपने मन से.. और ऊपर की यात्रा करें..
इस दुनिया से जो कुछ भी मेरे जीवन में चल रहा है.. उन सब से डिटेच होकर.. अपने मन और बुद्धि को ले चले परमात्मा के पास.. जो सदा शांत है.. जो ज्ञान का सागर है.. जो सर्वशक्तिमान है.. और जो मुझ आत्मा की पिता है... उस ज्ञान के सागर के सामने बैठकर... उस प्रकाश स्वरूप परमात्मा के सामने बैठकर.. अनुभव करें कि मेरे मन और बुद्धि में भी ज्ञान का.. शांति का.. शक्तियों का प्रकाश.. भरता जा रहा है.. मेरे अंदर परखने की शक्ति क्या सही है.. क्या गलत? क्या सिर्फ मेरी इच्छा है? लेकिन, क्या कल्याणकारी है? क्या थोड़े समय के लिए है? और क्या सदा के लिए है? यह परखने की शक्ति.. मेरे अंदर बढ़ती जा रही है.. ऐसे ही.. निर्णय करने की शक्ति भी.. उस ज्योतिर्बिंदु परमात्मा से.. लाइट की किरणों की तरह.. मुझ आत्मा को मिल रही है.. मुझमें शक्ति आ रही है.. जिसके द्वारा मैं अपने जीवन के.. हर निर्णय को तोल सकूं !
एक तरफ आराम की चाहना.. और एक तरफ गिरने का डर.. इन दोनों को जीतकर.. मैं अपने जीवन में.. भविष्य के कल्याण को देख सकूं... मेरा हर कर्म... हर डिसीजन.. मुझ आत्मा में संस्कार बनाता जाता है.. कर्म तो केवल जरिया है.. संस्कार परमानेंट.. कर्म वही अच्छा है जिससे आगे के लिए मेरे संस्कार श्रेष्ठ बने.. मुझमें क्लैरिटी आती जा रही है.. कि मुझे सत्यता, शांति.. प्रेम.. शक्ति.. पवित्रता.. यह संस्कार बनाने हैं.. अपने सही संस्कारों की पहचान मुझे मिली है... अब फिर एक बार नीचे देखें.. उन रास्तों को जिन पर चलकर.. मैं इन संस्कारों की मंजिल तक पहुंच सकती हूं.. अब इस ज्ञान की शक्ति से मैं सही रास्ता चुन सकती हूं.. परमात्मा का शुक्रिया करते हुए.. इस ज्ञान की शक्ति को साथ लेते हुए.. फिर से आ जाए अपने कर्म क्षेत्र पर.. सही कर्म करके अपने जीवन में आगे के लिए.. सही मार्ग पर चलकर सही संस्कार बनाने के लिए.. !
ओम शांति

















