ओम शांति। एक मिनट के लिए महसूस करें, स्वयं को बाहर की हर बात से अलग कर लें। भूल जाएँ हर वह बात, जिसने मुझे आज दिन तक दुख दिया है, परेशान किया है। मिटा दें अपने मन से उन बातों को, जो मेरे अंतर को दुख देती हैं और महसूस करें जैसे स्वयं परम ज्योति, सुखों का सागर परमात्मा, मेरे समक्ष आ गए हैं और मेरे अंतर को, संपूर्ण देह को, देह के हर दुख को सदा के लिए समाप्त कर रहे हैं।
सुख सागर परमात्मा से सुख की किरणें मेरे संपूर्ण शरीर में प्रवाहित हो रही हैं। मेरे मस्तक में, और मस्तक से गुजरते हुए हर रोम तक पहुँच रही हैं। मेरे नेत्रों में, हाथों में, पैरों के तलवों तक, मेरे जीवन में सच्चे सुख को लाने के लिए स्वयं सुख सागर परमात्मा मेरे जीवन में आ गए हैं।
आज से कोई दुख का बादल मुझे छुएगा भी नहीं। स्वीकार करें इस वरदान को, जो स्वयं सुख सागर परमात्मा दे रहे हैं। मैं अनंत सुखों से सजी हुई, सुख स्वरूप ईश्वरीय संतान हूँ।
ओम शांति।












