ओम शांति !
अपना सारा ध्यान.. बाहर से हटाते हुए.. भृकुटी के बीच लेकर आइए.. अपने आप को देखिए.. मैं कौन हूं? मस्तक के बीच चमकती हुई आत्मा हूं! इस शरीर को चलाने वाली दिव्य शक्ति हूं ! स्वयं को देखें- अनुभव कीजिए अपने आप को.. अपने स्वरूप को देखें.. मेरा स्वरूप प्रकाशमय है.. ज्योति स्वरूप है.. भृकुटी के बीच में मस्तक के मध्य में.. मैं चमकता हुआ सितारा.. इस शरीर को मालिक बनकर चला रहा हूं.. मैं आत्मा अति सूक्ष्म हूं.. लेकिन बहुत पावरफुल हूं.. मैं जानता हूं कि मैं मालिक हूं.. अविनाशी हूं.. मुझे आत्मा का विनाश कभी नहीं हो सकता.. शरीर विनाशी है लेकिन मैं अविनाशी हूं !
मैं निश्चिंत हूं.. क्योंकि मैं परमात्मा की संतान.. अविनाशी आत्मा हूं.. मैं बिल्कुल शांत हूं.. मेरा मन शांत है.. मुझे कोई भय नहीं है.. मुझे कोई चिंता नहीं है.. मैं खुश हूं.. मैं सुखी हूं.. क्योंकि जीवन की वास्तविकता को.. समझ गया हूं.. यह शरीर मेरी पहचान नहीं है.. मेरी पहचान है- मैं आत्मा.. अत्यंत शक्तिशाली.. परमात्मा की संतान.. परमात्मा सदा मेरे साथ है !
उनकी शक्तियां.. उनके ब्लेसिंग्स.. सदा मेरे साथ है.. अनुभव करें - परमात्मा.. सुप्रीम लाइट.. आसमान से उतरते हुए.. मेरी तरफ आ रही है.. परमात्मा का प्रकाश मेरे ऊपर आ रहा है.. और यह प्रकाश मुझे आत्मा के अंदर तक.. सुकून पहुंचा रहा है.. शक्ति का अनुभव हो रहा है.. और यह दिव्य प्रकाश.. मेरे पूरे शरीर में भी फैल रहा है.. शरीर के एक-एक अंग तक.. एक-एक कोश तक पहुंच रहा है.. मेरा मस्तक.. इस दिव्य प्रकाश से भर गया है..
सब कुछ सही हो रहा है.. मैं निश्चिंत हूं.. मुझे कोई भय नहीं है.. मेरा परिवार बहुत अच्छा है.. मैं दिल से सबको दुआएं दे रहा हूं.. परमात्मा की शक्ति.. और मेरी दुआएं.. सदा सबके साथ है ! मैं आत्मा.. अपने शरीर को दुआ दे रहा हूं.. शरीर के एक-एक अंग को शक्ति दे रहा हूं.. सब कुछ परफेक्ट है.. मैं बहुत खुश हूं.. निश्चिंत हूं.. परमात्मा की प्रकाश की छत्र छाया में हूं.. कोई भय नहीं.. कोई चिंता नहीं.. अत्यंत आनंद, शक्ति और शांति है .. परमात्मा की गोद में हूं मैं.. बस मुझे यही अनुभव करना है कि परमात्मा का प्रकाश.. मुझ आत्मा पर निरंतर आ रहा है .. और मैं आत्मा.. उस दिव्य प्रकाश में.. बहुत सुरक्षित.. और शक्तिशाली महसूस कर रही हूं.. भगवान मेरे साथ है.. फिर क्या चाहिए? उनकी शक्तियों की छत्रछाया में हूं मैं.. बिल्कुल निश्चिंत, बेफिक्र, शांत, खुश, संतुष्ट !
परमात्मा का शुक्रिया !










