ओम शांति, नवरात्रि के इन पावन दिनों में शक्तिशाली दिनों में आइए अपनी आंतरिक शक्ति को जगाते हैं। अष्ट शक्तियों को जागृत करते हैं।
बाह्य सभी बातों से, आवाजों से अपने आप को मुक्त कर, अपना सारा ध्यान केंद्रित करते हैं। भ्रुकुटी के बीच में, तिलक के स्थान पर स्वयं को देखिए।
पांच तत्व के शरीर को चलाने वाली, मैं एक चैतन्य शक्ति आत्मा हूं। मेरा स्वरूप ज्योतिबिंदु स्वरूप (form of a point of light), प्रकाश का मैं पुंज हूं।
अति सूक्ष्म, अति तेजोमय शक्ति का स्वरूप हूं। मस्तक के मध्य में विराजमान मैं चैतन्य शक्ति हूं।
मुझे आत्मा के पिता परमात्मा भी मेरी तरह ज्योति बिंदु स्वरूप (form of divine light), प्रकाश का महापुंज हैं। परम पिता शिव परमात्मा की संतान, मैं आत्मा शिव की शक्ति हूं।
स्वयं के भीतर अष्ट शक्तियों को जागृत करने चलो, चले शक्तियों के सागर परम पिता शिव परमात्मा के पास।
परमधाम (Supreme Abode), शांति धाम की यात्रा करके आते हैं। अनुभव कीजिए – मैं बिंदु रूप आत्मा, पांच तत्व के शरीर को यहीं पर छोड़ते हुए ऊपर की ओर गति कर रही हूं।
आसमान से भी पार, बादलों के ऊपर, सूर्य, चांद, तारा गण से भी पार – लाल सुनहरी दुनिया (the golden-red world) में अपने घर पहुंच जाते हैं। चारों तरफ असीम शांति है।
लाल सुनहरा प्रकाश है। सुकून की अनुभूति हो रही है।
देखें सबसे ऊपर – परम पिता परमात्मा शिव, महा ज्योति (Supreme Light), प्रकाश का पुंज अति तेजोमय चमक रहे हैं।
मैं आत्मा, परमात्मा की छत्रछाया में, उनकी किरणों के नीचे, शक्तियों के नीचे जाकर बैठ जाती हूं।
परमात्मा से निकलती शक्तिशाली किरणें, मुझ आत्मा के अंदर समा रही हैं। मैं शिव की शक्ति हूं।
सप्तरंगी किरणें (seven-colored rays) मुझ आत्मा की अष्ट शक्तियों को जागृत कर रही हैं।
मुझ आत्मा के अंदर अष्ट शक्तियों का आह्वान हो रहा है। परमात्मा की दिव्य शक्ति, मेरे अंदर अंतर्मुखता (introversion) की शक्ति को जागृत कर रही है।
शिव बाबा से निकलती हुई दिव्य प्रकाश की किरणें, मेरे अंदर अंतरमुखता की शक्ति को जगा रही हैं – जो मुझे संसार की अन्य आत्माओं की शक्तियों से स्वयं को डिटैच करने की ताकत देती है।
संसार की और अन्य आत्माओं की शक्तियों से, व्यवहार से डिटैच होकर, अंतरमुखता की गुफा में अपनी साइलेंस के पावर (power of silence) को बढ़ाती हूं।
मैं शक्ति हूं। मैं देवी पार्वती का स्वरूप हूं। मैं अंतर्मुखी आत्मा हूं।
शिव बाबा से निकलता हुआ दिव्य प्रकाश – यह दिव्य शक्ति समेटने की शक्ति (power to withdraw) को जागृत कर रही है।
मैं स्वयं को पुरानी हर बातों से समेट रही हूं। जिन्होंने जो कुछ भी किया, वह उनकी चॉइस थी। उनका व्यवहार उनकी चॉइस है।
मैं उनके व्यवहार को, उनके संस्कारों को अपने मन और चित्त से आज सदा के लिए हटाती हूं। I release my past.
मुझे उनसे कोई अपेक्षा नहीं है। मुझे कोई ग्लानि नहीं है।
मैं पुरानी बातों को लेट गो (let go) करती हूं। हमेशा के लिए फुल स्टॉप (full stop) लगाती हूं।
मैं भूतकाल को सदा-सदा के लिए आज अपने मन और चित्त से खत्म कर रही हूं।
मैं दुर्गा मां हूं। मैं शक्ति हूं। मेरे आत्मा के अंदर अथाह शक्ति है।
जगत पिता, शिव पिता से निकलती हुई शक्ति, मेरे अंदर सहन शक्ति (power to tolerate) को जागृत कर रही है।
मैं जगत पिता की संतान, जगत अंबा हूं। इस संसार की मां हूं।
मैं इस जगत की शक्ति हूं। धोखा देने वाले, निंदा करने वाले, क्रोध करने वाले, दुख देने वाले को भी –
मैं प्यार देने वाली, स्नेह देने वाली शक्ति, जगत मां हूं।
मैं अपने भीतर सहन शक्ति को जागृत कर रही हूं। मुझे दुख देने वाले को भी, अपमान करने वाले को भी –
मैं सम्मान देने वाली, स्नेह देने वाली, सहन शक्ति हूं।
मैं इस जगत की शक्ति हूँ ।
मैं संसार की हर आत्मा पर रहम करने वाली, सहन शक्ति हूं।
सर्व आत्माओं को क्षमा करती हूं। हर आत्मा के प्रति प्रेम की भावना रखती हूं।
मैं अपने भीतर सहन शक्ति को जागृत करते हुए –
हम सबके प्यारे शिव बाबा, जो संसार की हर आत्मा को निस्वार्थ स्नेह करते हैं –
चाहे कैसी भी आत्मा हो, हर एक के प्रति एक समान स्नेह है।
सभी आत्माओं को जैसी हैं, वैसे स्वीकारते हैं।
ऐसे मेरे प्राण प्यारे शिव बाबा से निकलती हुई दिव्य शक्ति, मुझे आत्मा के अंदर समाने की शक्ति (power to merge) को जागृत कर रही है।
मैं आत्मा, लोगों के व्यवहारों को – मान हो या अपमान हो, निंदा हो या स्तुति हो, जय हो या पराजय हो – स्वीकार (accept) करती हूं, और हलचल नहीं आती।
सदा एकरस और संतुष्ट रहती हूं।
वे जो जैसे हैं, वैसे उन्हें स्वीकार करने वाली आत्मा हूं।
अपने देह अभिमान को, अहंकार के संस्कार को समाप्त करती हूं।
मैं अपने समाने की शक्ति (power to merge) को जागृत करते हुए, संसार की हर आत्मा को – वह जैसे भी है – वैसे सहर्ष स्वीकार करती हूं।
समाने की शक्ति को जागृत करते ही, मुझ आत्मा को बहुत सुकून मिल रहा है।
क्योंकि हर आत्मा को जैसे है वैसे स्वीकारते ही, मन के सारे बोझ, अपेक्षाएं समाप्त हो जाती हैं।
मैं संतुष्ट आत्मा (contented soul) हूं।
मेरे पास जो कुछ भी है, उसमें मैं संपूर्ण रूप से संतुष्ट हूं।
मैं हर घटना को, हर व्यक्ति को, हर परिस्थिति को स्वीकार करती हूं।
मैं संतोषी मां हूं। मैं समाने की शक्ति हूं।
परमात्मा शिव से निकल रही यह दिव्य ऊर्जा, अब मेरे अंदर एक और शक्ति का आह्वान कर रही है –
मैं अपने भीतर परखने की शक्ति (power to discern) को जागृत कर रही हूं।
शांत मन और साक्षी दृष्टा (calm mind and detached observer) बनकर, हर कर्म करने वाली मैं आत्मा –
लोगों के व्यवहारों से कभी भी प्रभावित नहीं होती।
किसी के लगाव, प्रभाव या दबाव में नहीं आती।
मैं हर कर्म सोच-समझ कर करने वाली, श्रेष्ठ कर्म करने वाली आत्मा हूं।
मुझे सही और गलत की परख (discernment) है। इसलिए मेरा हर कर्म श्रेष्ठ होता है।
मैं गायत्री देवी का स्वरूप हूं। मैं परखने की शक्ति हूं।
मैं शक्ति हूं।
मुझ आत्मा के अंदर इन दिव्य शक्तियों का आह्वान हो रहा है।
परमधाम (Supreme Abode) में शिव से निकलती हुई दिव्य शक्तियां, मेरे भीतर इन अष्ट शक्तियों को जागृत कर रही हैं।
शिव पिता से निकलती हुई यह दिव्य ऊर्जा, मेरे अंदर एक और शक्ति को जागृत कर रही है –
निर्णय लेने की शक्ति (power to decide) – Power to Decide
सत्यम शिवम सुंदरम से निकलती हुई यह दिव्य शक्ति, मुझ आत्मा के अंदर सत्यता (truthfulness) के गुण को पक्का कर रही है।
मैं सत्यता के आधार पर निर्णय लेने वाली, सदा सत्यता को आधार बनाने वाली –
मैं शक्तिशाली आत्मा (powerful soul) हूं।
मैं किसी के भी बहकावे में या प्रभाव में आकर निर्णय नहीं लेती हूं।
मैं सत्यता और परख शक्ति के आधार पर निर्णय लेने वाली – निर्णय शक्ति हूं।
सत्यता, जो सच्चाई और सफाई का प्रतीक है –
मुझे आत्मा के अंदर सत्यता का गुण, मेरे अंदर की मां सरस्वती को जागृत कर रहा है।
मैं देवी सरस्वती का स्वरूप हूं।
मैं कभी अपने निर्णय पर संदेह नहीं कर सकती।
सदा स्पष्ट और सत्य के आधार पर निर्णय लेकर, सही कर्म करने वाली आत्मा हूं।
मैं शक्ति हूं।
परमात्मा शिव से निकल रही यह प्रचंड शक्ति, मेरे भीतर अथाह शक्तियों को जागृत कर रही है।
तूफान को भी तोहफा बनाने वाली शक्ति (power to transform storm into gift) मेरे अंदर जागृत हो रही है।
कैसी भी परिस्थिति आए, मैं इन शक्तियों से उसका सामना कर सकती हूं।
मैं सामना करने की शक्ति (power to face) हूं।
मेरा हिम्मत का एक कदम, साथ में मदद के हजार कदम परमात्मा के हैं।
मेरी सफलता हर कार्य में निश्चित है।
सफलता के इस दृढ़ संकल्प के आधार पर, जीवन की हर परिस्थिति में, हर समस्या, हर मुश्किल का सामना करने की ताकत रखती हूं मैं।
मैं भय और निराशा से दूर, सदा विजयी आत्मा (victorious soul) सामना करने की शक्ति हूँ।
मैं मां काली का स्वरूप हूं।
मेरे भीतर अथाह शक्तियां हैं –
ना केवल मेरे जीवन में, किंतु संसार में आई हर समस्या को दूर करने की, हर परिस्थिति का सामना करने की शक्ति मेरे भीतर है।
मेरी इस शक्ति मात्र से, संसार की हर समस्या का समाधान हो जाता है।
मैं काली हूं।
मैं शक्ति हूं।
शिव बाबा की दी हुई यह अष्ट शक्तियां, मुझे आत्मा के अस्त्र-शस्त्र हैं।
मैं शिव की संतान, शिव की साथी – शिव शक्ति आत्मा हूं।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट, आलस्य – इन सारे असुरों को हराकर, इन विकारों रूपी रावण पर जीत प्राप्त करने वाली –
मैं शिव शक्ति हूं।
इन अष्ट शक्तियों को लेकर, परमात्मा की दिव्य ऊर्जाओं को लेकर,
मैं आत्मा चलती हूं वापस स्थूल जगत की ओर।
पहुंच जाए सृष्टि के ग्लोब के ऊपर।
अनुभव करते हैं, कि मुझ आत्मा से निकलती हुई शक्तियां, इस सारे संसार में फैल रही हैं।
हर आत्मा तक पहुंच रही हैं।
और सृष्टि के कोने-कोने से विकारों रूपी रावण सदा-सदा के लिए खत्म हो रहा है।
विकारों का नाश हो रहा है।
हर आत्मा शक्ति संपन्न हो रही है।
रावण राज्य खत्म हो रहा है और सुंदर सतयुग (Golden Age) की स्थापना हो रही है।
जो भी भक्त आत्माएं, नवरात्रि के दिनों में शक्तियों का पूजन कर रही हैं –
उन सभी आत्माओं को मैं देवी शक्ति, शिव शक्ति, शक्तियों का दान दे रही हूं।
उनकी मनोकामनाएं पूर्ण कर रही हूं।
मैं शिव शक्ति हूं।
मैं अष्ट शक्तियों से संपन्न आत्मा हूं।
ओम शांति शांति शांति।
















