ओम शांति !
एक गहरी सांस लें.. और धीरे-धीरे छोड़ें..अपने मन को अभी इस वर्तमान क्षण में लेकर आइए.. फोन को एक ओर रख दीजिए.. भारी दुनिया की चकाचौंध से अपने आत्मिक स्वरूप की ओर लौट आइए..
मैं एक शांत, चैतन्य, शुद्ध आत्मा हूं !
अपने आप को देखिए — दो आंखों के बीच.. भ्रुकुटी के मध्य में चमकती हुई आत्मा ! जो कुछ हम सोशल मीडिया पर देखते हैं.. ,वह सब संसार की छाया है, एक मुखौटा है.. लेकिन मैं इस शरीर से भी परे.. एक ज्योति बिंदु आत्मा हूं — परमात्मा की संतान !
हर तस्वीर, हर वीडियो परिपूर्ण नहीं होता.. जो दिखता है.. वह सब कुछ सत्य नहीं होता .. लेकिन मुझे आत्मा का सौंदर्य शाश्वत है.. स्थाई है.. अलौकिक है.. डिवाइन है !
अपने मन में दोहराइए :
"I do not compare myself, क्योंकि मैं स्वयं में पूर्ण हूं।"
मैं शांति.. प्रेम.. शक्ति से भरपूर आत्मा हूं .. परमात्मा मेरे साथ हैं !
अभी विज़ुअलाइज़ कीजिए कि —
मैं.. चमकती हुई आत्मा.. मस्तक के मध्य में स्थित हूं.. और बिल्कुल मेरी तरह.. मेरे पिता परमात्मा भी चमकते हुए.. निराकार ज्योति स्वरूप में मेरे सम्मुख हैं.. मुझे देख रहे हैं.. और कह रहे हैं — "बच्चे, तुम्हारी वास्तविक पहचान इस जगत की नहीं है। यह तुम्हारा वास्तविक घर भी नहीं है।" तुम परमधाम के निवासी, चमकती हुई दिव्य आत्मा हो !
परमात्मा मुझे मेरी पहचान याद दिला रहे हैं.. मैं इस देह.. इस संसार.. इस सोशल मीडिया की दुनिया से.. ऊपर उठकर अपने मूल स्वरूप को अनुभव करती हूं..
मैं शांत स्वरूप.. शक्ति स्वरूप.. दिव्य आत्मा हूं !
मैं परमात्मा की संतान हूं !
मुझे किसी के जैसा नहीं बनना है.. मुझे अपने पिता जैसा बनना है !
अनुभव कीजिए —
मुझे आत्मा की चमक.. लाइट.. मेरे पूरे फेस पर एक बहुत प्यारा सा ग्लो दे रही है ! मुझे संतोष फील करा रही है.. खुशी प्रदान कर रही है !
मुझे कोई फिल्टर्स नहीं चाहिए खूबसूरत दिखने के लिए.. क्योंकि मेरी आंतरिक सौंदर्यता बहुत अच्छी है ! मैं खुश हूं.. क्योंकि परमात्मा मेरे साथ हैं ! और मैं जान गई हूं —
मैं कौन हूं? मेरा कौन है? और मैं कहां से आई हूं?
ओम शांति।















