ओम शांति !
यह सृष्टि.. जो पांच तत्वों से बनी हुए हैं.. अग्नि.. जल.. वायु.. आकाश.. और पृथ्वी.. हमारा स्थूल शरीर भी इन पांच तत्वों से बना हुआ है.. मैं आत्मा युगों-युगों से.. इन पांच तत्वों के आधार पर.. इस मनुष्य जीवन का सुख प्राप्त कर रही हूं.. आज मैं इन पांचों तत्वों का शुक्रिया करती हूं.. क्योंकि.. यह नहीं होते तो कदाचित यह जीवन ही नहीं होता.. यह पृथ्वी इस सृष्टि के आदि काल से हम सबका बोझ उठा रही है.. तो चलिए ..इन पांचों तत्वों का शुक्रिया करें..
पवित्रता की शक्ति से इन पांचों तत्वों को शुद्ध करते हैं.. स्वर्णिम काल से.. आते-आते कलयुग में.. हर तत्व में तमो प्रधानता बढ़ गई है.. लेकिन आज मैं आत्मा.. अपनी पवित्रता की शक्ति का.. इन पांचों तत्वों को दान करती हूं..
अनुभव करें-मैं आत्मा ज्योतिबिंदु स्वरूप.. दो नेत्रों के बीच.. चमकता हुआ.. पवित्र सितारा हूं.. परम पवित्र.. परमात्मा की संतान हूं.. परमात्मा से.. पवित्रता की शक्तियां.. मुझ आत्मा के अंदर समा रही है.. और मैं आत्मा.. पवित्रता की शक्ति.. इन पांचों तत्वों को.. रेडिएट कर रही हूं !
यह पृथ्वी.. कंचन जैसी बनती जा रही है.. वायु में.. पवित्रता की सुगंध है.. सारी सृष्टि का जल.. शुद्ध पवित्र हो चुका है.. मेरी पवित्रता की शक्ति से.. पांचों तत्व में.. शुद्धि आ रही है.. पांचों तत्व.. पवित्र बन रहे हैं.. इस संसार में.. पुनः वह स्वर्णिम काल.. सतयुग स्थापित हो रहा है..
पवित्रता की शक्ति.. मुझ आत्मा से.. स्वतः बह रही है.. बहती ही जा रही है.. जो प्रकृति के पांचों तत्वों को.. पवित्र बना रही है.. प्रकृति के पांचों तत्वों को पावन करना.. मुझ आत्मा का फर्ज है.. मैं आत्मा सदा.. प्रकृति के इन पांचों तत्वों के आभारी हूं.. और इस आभार को प्रकट करने.. में सदैव पवित्रता की शक्ति... पांचों तत्वों को रेडिएट करते रहूंगी !
ओम शांति शांति शांति
















