ओम शांति !
चलिए कुछ क्षण स्वयं के साथ व्यतीत करते हैं.. पूरे दिन की थकावट ने कहीं मन को तो नहीं थका दिया.. स्वयं के साथ कुछ क्षण बिताते हैं.. भौतिक जगत से मैं अपने आप को डिटेच कर देती हूं..
अपने आप से बात करना चाहती हूं.. कोई मुझसे प्यार करें ना करें.. कोई मुझसे बात करें ना करें.. आई लव माय सेल्फ.. मैं खुद से बहुत प्यार करती हूं.. पूरे दिन इस शरीर से कार्य करते-करते.. कहीं भूल तो नहीं गए.. कि मैं एक आत्मा हूं.. स्वयं को याद दिलाते हैं.. हम कौन है? एक चैतन्य शक्ति ऊर्जा हूं !
आंखों द्वारा देखने वाली.. मुख द्वारा बोलने वाली.. कानों द्वारा सुनने वाली.. चैतन्य शक्ति हूं.. मैं मालिक हूं ! मैं.. इस शरीर में.. दो नेत्रों के बीच.. भ्रूकटी के मध्य में निवास करती हूं.. मेरा स्वरूप ज्योति स्वरूप है... मैं प्रकाश का पुंज हूं.. परमात्मा की संतान हूं.. मैं एक आत्मा हूं..
सुख स्वरूप .. शांति स्वरूप.. प्रेम स्वरूप.. आनंद स्वरूप.. पवित्र स्वरूप आत्मा हूं! मैं गुणों की धनी हूं.. सर्वशक्तिमान हूं.. मैं संतुष्ट आत्मा हूं ! भरपूर आत्मा हूं! सदा खुश रहने वाली.. आनंदित आत्मा हूं... यही मेरी सत्य पहचान है.. स्वयं के साथ.. कुछ क्षण बिताकर.. मन प्रफुल्लित हो गया है !
ओम शांति शांति शांति

















