ओम शांति !
एक गहरी सांस लेकर.. धीरे-धीरे छोड़ें.. और एकदम रिलैक्स हो जाइए .. अपनी आंखें बंद कीजिए..
बाहरी दर्पण को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें.. और चलें अपनी अंतरात्मा के दर्पण की ओर — जहां आपका सच्चा रूप है.. सच्चा सौंदर्य है.. आप एक चेहरा नहीं हैं.. शरीर नहीं हैं..
याद करो — आप कौन हैं?
देखें अपने स्वरूप को — मस्तक के बीच.. एक चमकता हुआ सितारा.. शक्तिशाली आत्मा जो इस शरीर को चला रही है..
शांत, पवित्र और दिव्य आत्मा !
लोग कह सकते हैं कि आपने वजन बढ़ा लिया.. या चेहरा ठीक नहीं लग रहा.. लेकिन वे आपको नहीं.. सिर्फ आपके शरीर को देख रहे हैं..
स्मरण करो कि मैं कौन हूं?
मैं इस शरीर को चलाने वाली एक शक्ति.. एक ऊर्जा.. एक आत्मा हूं.. और इस आत्मा का सौंदर्य शाश्वत है.. दिव्य है.. अमर है..
अपने आप से कहें — "मैं एक दिव्य आत्मा हूं.. परमात्मा की श्रेष्ठ संतान हूं.. मैं जैसी हूं.. मैं श्रेष्ठ हूं !"
मुझे किसी से अपनी तुलना नहीं करनी है.. क्योंकि मैं अद्वितीय हूं.. यूनिक हूं ..
Now visualize — कि एक बहुत सुंदर.. दिव्य दर्पण के सामने आप खड़े हैं.. जो आपके रियल रूप को दिखा रहा है.. उसमें चमक रही है — शांति .. प्रेम.. शक्ति से भरपूर आत्मा !
कोई भी मज़ाक.. कोई भी टिप्पणी आत्मा की गरिमा को छू नहीं सकता.. मेरा आत्म-सम्मान मेरा सच्चा सौंदर्य है..
अब अनुभव कीजिए कि परमात्मा — जिनका शरीर नहीं है.. निराकार हैं.. ज्योति बिंदु हैं.. प्रकाश के महापुंज हैं — वह डिवाइन लाइट.. परमात्मा.. मेरे सम्मुख हैं और मुझे कह रहे हैं.. — "बच्चे.. तुम जैसे हो.. मेरे लिए बहुत अच्छे हो.. मुझे आपसे बहुत प्यार है.. आप जैसे हो, मेरे हो !"
सचमुच, जो सबका पिता है — परमात्मा.. वह मुझे.. जैसी मैं हूं.. स्वीकार करता है.. मुझे अपनी आत्मिक सौंदर्यता पर बहुत गर्व है..
अब एक बार फिर से गहरी सांस लीजिए:
मुस्कुराइए — क्योंकि अब आप जानते हैं कि आप शरीर नहीं.. बल्कि इस शरीर को चलाने वाली बहुत सुंदर.. शक्तिशाली.. शांत स्वरूप आत्मा हैं ! और यही आपकी पहचान है..
ओम शांति !
















