ओम शांति !
कंफर्टेबल होकर बैठे.. बॉडी को रिलैक्स करें.. क्योंकि यह यात्रा शरीर की नहीं.. मन की है! अपने को याद दिलाएं.. कि मैं कौन हूं.. कॉन्शियसली एक संकल्प करें.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. और इसको फील करें.. . इस मोमेंट में इसको फील करें..
कि मुझे शांति चाहिए नहीं.. लेकिन शांति मेरी ओरिजिनल नेचर है.. पर अब सारा दिन में शांति को बना कर रखना है.. सब लोग मेरे अनुसार नहीं होंगे.. अपने को यह बात अच्छे से समझा दे.. सब अलग-अलग रीति से व्यवहार करते हैं.. क्योंकि.. उनके संस्कार अलग है.. उनके जीवन की यात्रा अलग रही है.. पर मुझे अपना पार्ट बजाना है..
सब तरफ से अटेंशन हटाकर अपने ऊपर ले आए... मुझे मेरे कर्मों पर अटेंशन देना है.. क्योंकि.. मेरे कर्मों से मेरी तकदीर बनती है.. कोई क्या कर रहा है.. कोई कैसे बोलता है.. वह उसके कर्म है.. हर एक के कर्म से उसका भाग्य बनता है.. अपने भाग्य को श्रेष्ठ बनाने के लिए .. अपने कर्मों के ऊपर अच्छे से अटेंशन दें.. क्योंकि भाग्य बनाने की कलम भगवान ने हमारे हाथ में दी है .. और इसीलिए हमारे साथ जो कुछ होता है.. वह बहुत अच्छा है.. एक्यूरेट है.. परफेक्ट है! कोई भी सीन देखकर घबराने के बजाय.. अपने से पूछे.. आगे क्या करना है! मैं शक्तिशाली आत्मा किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हो.. अपनी शक्तियों को बढ़ाकर अपने जीवन को सुखमय मनाएं!
ओम शांति !















