ओम शांति !
स्वयं को देखते हैं.. भृकुटि के मध्य में.. शरीर को चलाने वाली.. मैं चैतन्य शक्ति आत्मा हूं ! मैं शक्तिशाली आत्मा हूं!
संसार में कई सारी परिस्थितियां हैं.. उन परिस्थितियों के बीच रहते हुए.. मैं उनसे परे हूँ . सबसे न्यारी और प्यारी आत्मा हूँ .. जो कुछ भी हो रहा है.. उस वास्तविकता को स्वीकारते हुए.. मैं स्टेबल हूँ !
हर घटनाक्रमहितकारी जो कुछ भी हो रहा है.. सब कुछ अच्छा हो रहा है .. परमात्मा मेरे साथ है.. मुझे किसी बात का भय नहीं.. मैं आत्मा .. हर परिस्थिति में.. शांत होकर.. जीवन व्यतीत करती हूं.. मेरे साथ.. सब कुछ.. अच्छा ही हो रहा है .. और सदैव अच्छा होगा..
इसलिए.. सृष्टि चक्र का.. हर एक क्षण.. मैं सहर्ष स्वीकार करती हूं.. एवरीथिंग हैपेंस फॉर ए गुड रीजन ! मैं निश्चिंत रहने वाली.. सदा खुश रहने वाली आत्मा हूँ !
ओम शांति शांति शांति
















