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 मैं जब न रहूं, तब क्या रहेगा मेरा?
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मैं जब न रहूं, तब क्या रहेगा मेरा?

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हिन्दी (Hindi)
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जब जीवन में सब कुछ सही चल रहा हो — प्रेम, परिवार, सफलता और सम्मान — लेकिन भीतर एक मौन प्रश्न उठे: क्या यह सब सदा मेरे साथ रहेगा

ओम शांति !

जीवन के इस पड़ाव पर.. जब सब कुछ अच्छा चल रहा है.. हंसता-खेलता परिवार है.. बहुत सक्सेसफुल प्रोफेशनल लाइफ है.. अपनी मेहनत से बनाया हुआ यह घर है.. समाज में अपनी रेस्पेक्ट है.. इस सबको अंदर से महसूस करते हुए... एक सत्य का विचार.. मन में आ रहा है.. यह यह सब कुछ मैंने जीवन में कमा तो लिया.. लेकिन क्या यह सब कुछ सदा ऐसे ही रहेगा? क्या यह सब कुछ एक दिन मेरे साथ चलेगा?

जीवन के सत्य को हम सभी जानते हैं.. फिर भी कहीं ना कहीं उस सत्य को भूल जाते हैं.. आज परमात्मा को साक्षी मानकर.. अपने जीवन को देखते हुए.. इस जीवन से जो मुझ में परिवर्तन आया है.. उसे देखें.. यह सारे रिश्ते.. यह सारी उपलब्धियां.. यह संपत्ति.. यह सब तो मैंने कमाई.. लेकिन इसके द्वारा मैंने अपने अंदर.. आत्मा के कर्मों की कमाई में जो जोड़ा है.. उसे महसूस करें..!

यह परिवार जिसे मैंने जोड़ा है.. यह जरिया था.. मेरे अंदर के प्रेम को.. सुख को.. जागृत करने का.. अगर यह परिवार ना होता.. तो मैं अपने अंदर के प्रेम के गुण को.. त्याग के गुण को.. सुख के गुण को.. कैसे पहचानती? आज अपने परिवार को देखकर उन सबको दिल से.. बहुत-बहुत धन्यवाद करें.. दुआएं दे.. कि आप मेरे जीवन में आए.. और मुझे अपने ही प्रेम का.. त्याग की शक्ति का... सुख का.. अनुभव कराया..

ऐसे ही अपने इस घर को.. अर्जित की हुई उपलब्धियों को.. अपनी प्रोफेशनल लाइफ को देखें.. यह सब भी.. इस संसार में.. अपनी एक पहचान बनाकर.. सबकी दुआएं लेने का एक जरिया बना.. जो भी मैंने कर्म किए.. उससे मेरे जीवन में संतोष.. शक्ति..इन गुणों की वृद्धि हुई.. यह जरिया बने.. मुझे मेरी काबिलियत का एहसास कराने के लिए...

अब तक... मेरी निगाह केवल जरिए पर जा रही थी.. लेकिन.. अब मैंने पहचाना.. कि जितना यह जरिया महत्वपूर्ण है.. उतना ही इसके द्वारा मैंने क्या पाया महत्वपूर्ण है। मेरे जाने के बाद.. मेरे यही गुण.. दूसरों को मेरी याद दिलाएंगे.. एक दिन भले ही इनके बीच में ना रहूं.. लेकिन मेरे यह कर्म ही मेरी यादगार.. मेरे यह गुण ही मेरी यादगार.. इन सबके बीच में रहेंगे.. इनके चेहरों की मुस्कान हमेशा बढ़ती रहेगी..!

जब भी मेरे इस प्रेम के गुण को.. त्याग के गुण को.. मेरे दिल से निकली... सब के लिए.. उन दुआओं को.. यह फिर से याद करेंगे.. महसूस करेंगे.. आज अपने आप से मैं यह वादा करती हूं.. कि ऐसी और भी यादगार हर पल मैं जोड़ती जाऊंगी.. जो मेरे बाद भी मुझे सबके दिल में जिंदा रखेगी.. सुख देती रहेगी.. मेरे दूर होने पर भी.. मेरे प्यार का एहसास कराती रहेगी..!

मैं अविनाशी आत्मा.. उस अविनाशी प्यार के सागर.. परमात्मा से सुख के सागर परमात्मा से.. इतना प्यार अपने अंदर भर रही हूं.. जो जब तक मैं यहां हूं.. अपने परिवार... उस प्यार के सागर.. सुख के सागर परमात्मा से.. मैं इतना प्यार अपने जीवन में भर रही हूं... जो हर पल.. हर संकल्प से.. हर बोल से.. व्यवहार से और कर्म से.. सबको सुख देती रहो..!

मुझ आत्मा की तरह यह प्यार भी अमर हो जाए.. यह शरीर यह नाम यह जीवन रहे ना रहे.. लेकिन यह प्यार की यादगार सदा रहे..अनुभव करें कि सर्वशक्तिमान प्यार के सागर... ज्योतिर्बिंदु परमात्मा से प्यार की किरणें बरस रही है.. मेरे ऊपर.. मेरे पूरे परिवार के ऊपर.. इस पूरे घर के ऊपर.. और मेरे द्वारा जहां-जहां भी मेरा संबंध है.. वहां-वहां यह प्यार... यह स्नेह.. यह सुख पहुंच रहा है और सबके दिलों में बस रहा है..! ओम शांति !

इस मेडिटेशन के माध्यम से आप अपने जीवन की उपलब्धियों को केवल भौतिक दृष्टि से नहीं, आत्मिक दृष्टि से देखना शुरू करते हैं। आप समझते हैं कि यह घर, यह परिवार, यह सफलता केवल जरिया है — आपके भीतर के प्रेम, त्याग और सुख के गुणों को जगाने का।

यह अभ्यास आपको आत्मिक संतोष, कृतज्ञता और गहरी आंतरिक स्थिरता प्रदान करता है। यह जीवन के सच्चे अर्थ को उजागर करता है और आपको प्रेरित करता है कि आप अपने कर्मों से ऐसी यादगार बनाएं जो शरीर के जाने के बाद भी प्रेम की सुगंध बनकर सबके दिलों में बनी रहे

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