ओम शांति !
आज.. कुछ समय के लिए.. अपने साथ इत्मीनान से बैठिए.. बहुत दिनों के बाद.. अपने आप से बात करने का मौका मिला है.. अपने आप को.. इस जीवन यात्रा में.. एक यात्री की तरह देखिए.. — जैसे.. एक यात्री जब सफर करता है.. तो उसे अपने सफर में.. बहुत सारे साथी मिल जाते हैं.. कोई शुरू से साथ देता है.. तो कोई बीच में मिल जाता है.. लेकिन कोई भी साथी हमेशा अंत तक नहीं रह पाता..
ऐसे ही.. मेरे जीवन की यात्रा में भी.. कुछ ऐसे साथी मुझे मिले.. जो शुरू से लेकर अब तक.. साथ निभा रहे हैं.. — जैसे माता-पिता.. बड़े भाई.. बड़ी बहन.. इन सबका साथ.. हमेशा मेरे पास है.. चाहे वे खुद मेरे पास हों या न हों.. वे जहाँ भी हों.. उनकी यादों में मैं बसती हूँ ! हमेशा दिल से.. वे मुझे.. मेरी यात्रा में.. आगे बढ़ने की शुभ भावना देते हैं.. ऐसे ही कुछ और यात्री मिले — दोस्त.. जिनके साथ मेरी वह यात्रा का एक पड़ाव.. बहुत अच्छा रहा.. आज उनमें से कुछ हैं.. कुछ अपनी राह चल दिए.. लेकिन आज.. उन सभी को याद करके.. सबका शुक्रिया करिए !
मेरी इस यात्रा में.. हर एक का साथ यूनिक था.. हर एक का आना और जाना भी.. अपने-अपने तरीके से बहुत अच्छा था..लेकिन तीन साथी और भी हैं.. जो शुरू से लेकर अंत तक.. मेरी यात्रा में.. मेरे साथ हैं.. चाहे कोई भी जगह हो.. चाहे कोई मेरे आसपास है या नहीं.. — ये हमेशा मेरे साथ हैं !
पहला साथी — मेरे कर्म !
जब से मेरी यात्रा शुरू हुई.. मेरे कर्म मेरे साथ-साथ चल दिए.. हर कर्म ने.. या तो सुख दिया.. या शिक्षा.. दोनों ही मेरे इस सफर में बहुत ज़रूरी हैं.. इसलिए आज मैं जो भी हूँ.. वह इन कर्मों की वजह से हूँ .. इन कर्मों के लिए खुद को बहुत-बहुत धन्यवाद दें !
याद रखें.. मैं अकेला नहीं हूँ! मेरे साथ-साथ सारे पुण्य.. ये सारी शिक्षाएँ.. ये सारे अनुभव चल रहे हैं !
दूसरा साथी — सबकी दुआएँ !
जो भी दुआएँ मुझे मिली हैं.. — मेरे अपनों की दुआएँ.. और उनकी भी.. जिनसे मैं कभी-कभी मिली.. लेकिन थोड़े ही समय में.. उन्हें अच्छा अनुभव कराया.. उनकी भी दुआएँ मेरे साथ हैं !ऐसा महसूस करें.. कि आपकी यात्रा बहुत लंबी है.. आपके साथ-साथ.. आपके कर्म चल रहे हैं.. अनुभव चल रहे हैं.. और आपके आगे का रास्ता.. प्रकाशित करते हुए.. सभी की दुआओं की लाइट चल रही है !
जिस-जिस ने ये दुआएँ दी हैं.. वे सभी भी.. — चाहे मेरे सामने न हों.. — लेकिन मन से मेरे साथ हैं !
तीसरा साथी — खुद भगवान, परम पिता परमात्मा।
यह साथी तो कब से मेरे साथ है.. लेकिन दुनिया के इस शोर.. और आवाज़ में.. सबके साथ होने के कारण... मैंने कभी इस साथी पर ध्यान नहीं दिया.. कभी इनसे दिल की बात नहीं कर पाई.. आज.. जब कोई दिखाई नहीं दे रहा.. तो यह मौका है.. — इस साथी को अपना बेस्ट फ्रेंड बनाने का.. खुदा को दोस्त बनाने का !
यह मेरा साथी कभी मुझे छोड़ेगा नहीं.. कभी धोखा नहीं देगा.. कभी गलत रास्ता नहीं बताएगा.. और यह साथी तो सर्वशक्तिमान है ! इस साथी के होते हुए ..मुझे और कुछ नहीं चाहिए!
महसूस करें — मेरी जीवन की राह वही है.. मैं राही वही हूँ.. लेकिन इस साथी के आ जाने से.. अब मैं चल नहीं रही — मैं बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ.. उड़ रही हूँ ! मेरे पाँव धरती पर नहीं हैं.. मेरा सारा अकेलापन.. मेरे सारे बोझ इस साथी ने ले लिए हैं ! उस परमात्मा साथी की लाइट मुझ पर पड़ रही है.. और मेरे जीवन में खुशियों.. प्यार.. हँसी के हर प्रकार के रंग भरती जा रही है !
इस शांति में... जब कोई साथ नहीं हो — तो आनंद लें इस परमानेंट साथी का.. दिल से उसके दिल की आवाज़ सुनें.. वह हमेशा साथ निभाएगा.. खुद भी हमेशा उसे साथ रखने का.. उससे वादा करें — दिन की शुरुआत उस साथी के साथ करें ! उस साथी के साथ बैठकर.. अपने बाकी दोनों साथियों को भी देखें —
कौन से कर्म मेरे साथ चल रहे हैं?..
किस-किस की दुआएँ मेरे साथ चल रही हैं?..
मैं अकेला नहीं हूँ.. अकेली नहीं हूँ — कभी नहीं !
ओम शांति !

















