ओम शांति !
अपने मन को बिल्कुल हल्का करके बैठे.. जो भी बातें ..हमने सारा दिन सुनी.. जो भी चीजें देखी.. या जो कुछ भी किया.. कुछ समय के लिए उनके विचारों को.. एक बैग में पैक करके.. साइड में रखदें..
अनुभव करें कि आपका मन.. एक ओपन स्पेस है.. जैसे आसमान विशाल.. सागर विशाल.. पृथ्वी विशाल.. ऐसे ही मेरा मन भी.. बिल्कुल विशाल है.. जैसे धरती अपने आप में.. कितनी सारी चीजों को सपोर्ट करती है... कहीं कोई प्रकार का अनाज.. कहीं कोई फूल.. कहीं कोई पेड़ — सब एक ही धरती से पनपते हैं.. जैसे सागर भी अपने अंदर.. कितने सारे प्राणियों को रहने देता है.. जैसे आसमान में भी.. कितनी सारी चीजें हैं.. ऐसे ही मेरे मन में भी.. हर एक के लिए स्थान है !
सबसे पहले तो अपने आप को स्थान दें.. सारे दिन में.. कितने सारे विचार मैं क्रिएट करती हूं इस मन में.. कोई सही होते हैं, कोई गलत — अपने आप को बिल्कुल न्यूट्रल होकर देखें.. अगर कोई गलत विचार आया भी.. तो भी सिर्फ उसे ऑब्जर्व करें.. ताकि वह धीरे-धीरे चला जाए.. जरूरी नहीं कि हर विचार सही हो.. लेकिन यह जरूरी है कि सही विचार को स्थान मिले.. और जो विचार अनुचित है.. वह अगर आए भी तो उसे बैठने ना दें.. जाने दें !
मैं अपने आप को पूरी तरह से एक्सेप्ट करती हूं.. चाहे मेरे मन में ..जो कुछ भी आए — आई एक्सेप्ट माय सेल्फ ! मैं अपने आपको अपने विचारों के कारण.. सही या गलत जज नहीं करती.. विचार केवल विचार हैं.. मैं मन नहीं.. मैं विचार भी नहीं..
अब अपने इस विशाल मन में.. अपने आस-पास के लोगों को भी स्थान दें.. जैसे मेरा विचार कभी सही होगा.. कभी गलत.. ऐसे उनके भी विचार कभी सही.. कभी गलत ! वास्तव में.. गौर से सोचें.. तो उनका गलत विचार गलत नहीं — केवल अलग है.. मेरे विचार से अलग .. जैसे मैं विचार नहीं.. ऐसे वह भी विचार नहीं.. और मैं वह भी नहीं जो दूसरे मेरे बारे में सोचते हैं.. मेरे बारे में जो मेरा विचार है, मैं वह नहीं.. और मेरे बारे में जो दूसरों का विचार है, मैं वह भी नहीं.. हर एक का विचार अलग-अलग प्रकार के फूलों की तरह है.. जो मेरे मन की बगिया में मैं देख रही हूं.. सारे फूल अलग-अलग हैं.. लेकिन सारे सुंदर.. कोई सही नहीं.. कोई गलत नहीं.. इसके साथ मैं सबको स्वीकार करती हूं.. चाहे कोई मुझसे कितना भी अलग हो.. चाहे उनका मेरे बारे में कुछ भी विचार हो — लेकिन मैं उन्हें स्वीकार करती हूं..
मेरा अस्तित्व किसी के विचार से मिटने वाला नहीं.. मैं शाश्वत हूं.. मैं जीतूं या हारूं.. लेकिन मैं शाश्वत हूं.. मैं वह नहीं जिसको दूसरे देख रहे हैं.. मैंने खुद को भी अभी तक शायद देखा नहीं है.. इसलिए किसी और का दोष नहीं.. मेरा भी दोष नहीं !
आज अपने आप को वास्तविकता से देखें.. आज देखें — मेरा असली स्वरूप क्या है? मैं यह नाम नहीं.. मैं यह एजुकेशन.. पोज़िशन — कुछ भी नहीं.. मैं यह शरीर.. जो शायद थोड़ा छोटा रह गया या ज़्यादा लंबा हो गया.. थोड़ा मोटा है.. पतला है — चाहे जैसा भी है — लेकिन मैं यह शरीर नहीं .. मैं इस नाम से जाने जाने वाली ‘मैं’ .. जिसे इस नाम से पुकारा जाता है.. जो इस शरीर में बैठी है — मैं वह सत्य आत्मा हूं !
मैं वैसी नहीं जैसा लोग मुझे देख रहे हैं.. मैं तो मस्तक के बीचो-बीच चमकती हूं.. एक ज्योति हूं.. जैसे सबके मस्तक के बीच एक ज्योति चमक रही है — मैं भी इस शरीर के अंदर मस्तक के बीच एक ज्योति चमक रही हूं !
कहीं पर भी हम जाते हैं — चाहे घर पर हो.. ऑफिस में हो.. सड़क पर,.. भीड़ में या अकेले में — मेरा यह रूप .. और मेरे यह गुण.. शांति के.. एक्सेप्टेंस के — कभी बदलते नहीं.. मेरे बारे में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं.. लेकिन मैं उन सबसे अलग.. किसी को दिखाई ना देने वाली ज्योति हूं !
और जो सबसे ज्यादा पहचानता है.. जानता है,.. समझता है — वह मुझ आत्मा के पिता.. परम पिता परमात्मा.. जो खुद भी मेरी तरह निराकार ज्योतिर्बिंदु है! वह मेरे मन की हर बात को समझते हैं.. जानते हैं.. मैं जो हूं.. जैसी हूं — मुझे वैसा एक्सेप्ट करते हैं ! उनके सिवाय.. कोई और मुझे उतना नहीं जानता !
इसलिए आज मैं सबको अपनी एक्सपेक्टेशन से मुक्त करती हूं.. जो मेरी एक्सपेक्टेशन है कि सब मुझे जानें.. समझें — उस एक्सपेक्टेशन से मैं सबको फ्री करती हूं.. क्योंकि.. परमात्मा के सिवाय मुझे और.. कोई जान ही नहीं सकता.. इसलिए.. मेरा नाता उस परमात्मा से है — जिन्हें मेरा एक-एक संकल्प पता है.. जो हमेशा मुझे.. शक्ति दे रहे हैं कि मेरी कमजोरियां.. गलतियां.. अच्छाइयों में बदल जाएं !
अनुभव करें कि — मेरे सिर के ऊपर परमात्मा सितारे की तरह चमक रहे हैं.. और उनकी लाइट मुझ सितारे पर पड़ रही है.. मुझे लाइट से भर रही है.. मेरी सब कमजोरियों को.. गलतियों को.. भूलों को मिटा रही है.. मुझे पूरी तरह से .. परमात्मा अपनी लाइट में .. समा रहे हैं.. एक्सेप्ट कर रहे हैं !
अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए.. किसी का वैलिडेशन नहीं.. किसी का पॉजिटिव इंप्रेशन नहीं.. मेरा दिल एक्सेप्टेंस से भर चुका है.. और अब मैं सभी को एक्सेप्ट कर सकती हूं — सभी डिफरेंसेस के साथ..
मेरा दिल.. मेरा मन ..और भी विशाल हो चुका है !
ओम शांति !

















