ओम शांति !
कुछ क्षण के लिए.. स्वयं को बाह्य जगत से डिटेच करते हैं.. अपने मन को एकाग्र कीजिए.. स्वयं को देखते हैं.. मस्तिष्क के बीच.. इस शरीर के मालिक.. मैं चैतन्य शक्ति.. आत्मा हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति से भरपूर हूं.. मेरे मन के विचारों की गति.. शांत हो रही है.. शांति की शक्ति.. मेरे पूरे शरीर में फैल रही है.. शरीर की सारी प्रणाली शांत नॉर्मल हो रही है..
शांति के प्रकंपन.. मुंझ आत्मा से निकलते हुए.. मेरे चारों तरफ.. वातावरण में.. शांति फैला रही है.. मेरे आसपास का वातावरण.. शांत है.. संसार में.. पुनः शांति स्थापित हो रही है.. मुंझ आत्मा का स्वधर्म.. शांति है.. चाहे कैसी भी परिस्थिति हो.. मैं आत्मा.. शांति की शक्ति से.. सहजता से .. हर परिस्थिति का.. समाधान करती हूं..
मैं.. शांति दाता.. परमात्मा की संतान.. शांत स्वरूप आत्मा हूं !
ओम शांति शांति शांति !















