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रिश्तों में मधुरता लाएं
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रिश्तों में मधुरता लाएं

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हिन्दी (Hindi)
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अपनों से उम्मीद नहीं, अपनापन बाँटे। आइए, आज उन्हें वैसे ही स्वीकारें जैसे परमात्मा हमें करता है

ॐ शांति।

कुछ पलों के लिए आराम से बैठें। आज अपने मन की स्क्रीन पर उन सभी को लाएँ, जिनके साथ हमने बहुत समय बिताया है — हमारे अपने, हमारे साथी, और वे सभी जिनके साथ हम काम करते हैं। उन्हें थोड़ा न्यारे होकर, एक अलग दृष्टिकोण से देखें। कभी-कभी अपनों से बहुत अपेक्षाएँ होती हैं, और जब वे पूरी नहीं होतीं, तो हमारे प्यारे रिश्तों में धीरे-धीरे कड़वाहट और टकराव आने लगते हैं। ऐसे समय में खुद को समझाएं कि सब मेरे जैसे नहीं हो सकते। हम सब अलग हैं। हर आत्मा अपनी एक विशेष यात्रा पर है — उसके जीवन के अनुभव, आने वाली चुनौतियाँ, उसकी मर्यादाएँ, सिद्धांत, सोचने और जीने का तरीका, उसके संस्कार — सब अलग हैं। कोई भी दो आत्माएँ बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकतीं। लेकिन किसी का मुझसे अलग होना, इसका मतलब यह नहीं कि वह गलत है। इसलिए आज, वे जैसे हैं, जो हैं — उन्हें दिल से स्वीकार करें। हो सकता है वे परफेक्ट न हों, लेकिन फिर भी, जैसे परमात्मा हमें बिना शर्त स्वीकार करता है, वैसे ही हम भी उन्हें पूरे दिल से स्वीकार करें। अगर उनमें कोई कमजोरी है, तो वह मुझे डिस्टर्ब नहीं कर सकती, मुझ पर असर नहीं डाल सकती। बल्कि मेरी स्वीकृति, मेरी पवित्र ऊर्जा, मेरी शुभ भावना, उन्हें सहयोग देगी कि वे अपनी कमजोरियों को पहचानकर, उन्हें बदलकर परिपूर्ण बन सकें। महसूस करें कि मेरे पवित्र वाइब्रेशन, सम्मान और विश्वास की भावना हमारे रिश्तों को और मजबूत बना रही है — और उन्हें मेरे करीब ला रही है। हमारे रिश्ते एक बार फिर से सुंदर और मधुर बन रहे हैं। आज, पूरे दिन औरों से अपेक्षा करने के बजाय, उन्हें जो हैं, जैसे हैं — हर पल स्वीकार करें।

ॐ शांति।

इस ध्यान का अभ्यास रिश्तों में अपेक्षाओं के बोझ को हल्का करता है और यह समझ देता है कि हर आत्मा की यात्रा अलग है। जब हम दूसरों को वैसे ही स्वीकार करना शुरू करते हैं जैसे वे हैं, तो हमारे विचार, वाइब्रेशन और व्यवहार शुभ भावनाओं से भर जाते हैं। यह शुभ भावना दूसरों को सहयोग भी देती है और रिश्तों को फिर से मधुर और स्थिर बनाती है।

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