ओम शांति !
स्थूल जगत के रंगमंच से.. कुछ क्षण के लिए.. स्वयं को डिटेच करते हैं.. जरा अपने किरदार को देखते हैं.. यह सृष्टि एक सुंदर रंगमंच है.. जिसपर हर आत्मा.. अपना-अपना किरदार निभा रही है.. मैं आत्मा भी.. इस सृष्टि पर.. अपना सर्वश्रेष्ठ किरदार निभाने.. अवतरित हुई हूं..
यह मेरी वास्तविक दुनिया नहीं है.. परमधाम.. जो सर्व आत्माओं का.. और पिता परमात्मा का.. प्यारा घर है—वहां से.. मैं स्थूल जगत में.. अपना अच्छा पार्ट प्ले करने आई हूं ! जिस प्रकार.. कोई भी नाटक में.. अलग-अलग किरदार होते हैं—कोई हीरो पार्ट बजाता है.. तो कोई विलेन पार्ट प्ले करता है.. ठीक वैसे ही.. इस संसार में भी.. हर आत्मा अपना-अपना.. एक्यूरेट पार्ट प्ले कर रही है.. उसे बखूबी निभा रही है !
मुझे आत्मा को.. इस सृष्टि रूपी नाटक में.. सर्वश्रेष्ठ किरदार निभाना है.. मैं हीरो पार्टधारी .. श्रेष्ठ नायक आत्मा हूं ! मुझे आत्मा का हर संकल्प.. बोल.. और कर्म.. श्रेष्ठ है !
किसी और किरदार से प्रभावित होकर.. मैं अपना अच्छा किरदार निभाना नहीं छोड़ सकती.. आई एम द बेस्ट एक्टर ऑफ द वर्ल्ड ड्रामा ! मुझे अपने श्रेष्ठ किरदार से.. मेरे पिता परमात्मा को.. गर्वित करना है.. मैं श्रेष्ठ पार्ट बजाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूं !
ओम शांति शांति शांति !

















