ओम शांति !
कुछ समय के लिए .. स्वयं को देखते हैं.. पॉइंट ऑफ लाइट.. सेंटर ऑफ द फोरहेड.. भृकुटि के मध्य में.. मैं चमकती हुई आत्मा हूं... प्यार के सागर.. पिता परमात्मा की संतान.. प्रेम स्वरूप आत्मा हूं.. प्रेम.. मुझ आत्मा का संस्कार है.. स्वभाव है.. लव इज माय नेचर.. सभी में प्यार बांटना.. सबको प्यार देना.. मेरा निजी स्वभाव है..
मुझ आत्मा से... परिशुद्ध प्रेम की धारा.. सदैव बहती रहती है.. कोई मुझसे प्यार करे ना करे.. मैं सदा सर्व को.. प्रेम देने वाली आत्मा हूं.. मेरा प्रेम.. कंडीशनल नहीं है.. व्यक्ति.. व परिस्थिति के बदलने पर.. मेरे प्रेम की धारा.. बदलती नहीं है.. निरंतर बहती रहती है..
संसार की.. हर मनुष्य आत्मा निर्दोष है.. हर कोई.. कर्म चक्र से बंधा हुआ.. अपना-अपना किरदार निभा रहे हैं.. मेरा किरदार.. सर्वश्रेष्ठ है ! मेरा.. मेरे विश्व परिवार के प्रति.. प्यार अनकंडीशनल है ..
मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं ! आई एम लव फुल सोल!
परमात्मा का प्यार.. मुझ आत्मा पर सदा बरसता रहता है.. यही प्यार.. मैं सब में बांट रही हूं.. यही.. मेरा संस्कार है.. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं !
ओम शांति शांति शांति !

















