ओम शांति !
कुछ क्षण मन के विचारों की गति को धीमी कर देते हैं.. रिलैक्स हो जाते हैं.. मन को हल्का कर देते हैं..
जीवन में बहुत सी चैलेंजेस आती हैं.. लोग अपने संस्कारों वश हमारे साथ अलग-अलग व्यवहार करते हैं.. लेकिन.. हम स्वयं को आज एक शक्तिशाली स्वमान देते हैं.. कि मैं सहनशील.. धैर्यशील आत्मा हूं ! सहन करना.. अर्थात.. उनके व्यवहार का प्रभाव.. मुझ आत्मा पर नहीं पड़ सकता.. और इससे मुझे आत्मा की आंतरिक शक्ति में वृद्धि होती है ! चाहे कोई कुछ भी करें.. मैं आत्मा अपने सहनशीलता के संस्कार द्वारा.. उन आत्माओं को भी शांति.. और शीतलता प्रदान करती हूं.. मैं सहनशील आत्मा हूं !
हर समस्या का समाधान.. धैर्यता से करती हूं.. मेरा यह संस्कार.. सर्व आत्माओं को.. शक्ति प्रदान करता है.. जो उनके मन के घाव को ठीक करने में.. सहायक प्रतीत होता है.. सहनशीलता.. मुझ आत्मा की अद्भुत शक्ति है.. मैं सहनशील आत्मा हूं !
ओम शांति शांति शांति !

















