ओम शांति !
प्रकृति.. जो परमात्मा की बहुत सुंदर रचना है.. एक छोटा सा बीज.. जमीन के भीतर से प्रस्फुटित होकर.. एक बहुत बड़ा वृक्ष बन जाता है.. और मानव जीवन की आवश्यकताओं को पूर्ण करता है.. हर किसी को फल फूल छाया देता है.. मैं आत्मा भी सबको देने वाली.. दाता हूं.. इस सृष्टि के कल्प वृक्ष के.. बीज परमात्मा की संतान हूं.. कुछ क्षण के लिए... परमात्मा.. जो शक्तियों के सागर है.. गुणों के सागर है.. उनसे शक्तियां लेते हैं.
अनुभव कीजिए - मस्तिष्क के मध्य में.. मैं चमकता हुआ एक सितारा.. चैतन्य शक्ति आत्मा हूं.. मैं आत्मा इस थूल संसार से ऊपर.. अपने पिता के घर.. ट्रैवल कर रही हूं.. स्थूल शरीर को पीछे छोड़कर.. आई द सोल.. प्वाइंट ऑफ लाइट.. ट्रैवलिंग अपवर्ड्स.. जो रोशनी की दुनिया है.. आत्मा और परमात्मा की दुनिया है.. पहुंच जाते हैं अपने वास्तविक दुनिया में.. सूर्य चांद तारों से भी ऊपर.. लाल सुनहरे रंग की रोशनी की यह दुनिया.. जहां हमारे पिता परमात्मा.. महा ज्योति के स्वरूप में चमक रहे हैं.. उनसे निकलती हुई.. असंख्य शक्तियों की.. पावरफुल किरणें मुझे आत्मा में समा रही है.. मैं आत्मा भी.. पिता के जैसी.. शक्तियों.. और गुणों से भरपूर.. होती जा रही हूं.. परमात्मा की पावर्स को अपने अंदर भरकर.. शक्तियों को अपने अंदर समेटकर.. वापस.. स्थूल जगत की ओर चलते हैं.. आ जाते हैं वापस.. इस स्थूल संसार में.. मस्तिष्क के मध्य में.. बैठ जाते हैं.. परमात्मा से मिली हुई शक्तियों को.. हम अपने चारों तरफ रेडिएट कर रहे हैं.. जो हमारे आस-पास के वातावरण को.. पावरफुल बना रहा है!
मैं आत्मा शांति से भरपूर.. प्रेम से भरपूर.. आनंद से परिपूर्ण हूं.. आज पूरे दिन में.. कोई भी मेरे सामने आएगा.. वह सुख शांति, प्रेम, आनंद की अनुभूति करेगा.. प्रकृति की तरह.. मैं आत्मा भी.. हर मनुष्य आत्मा को.. सुख, शांति, प्रेम देने वाली दिव्य आत्मा हूं!
ओम शांति शांति शांति !















